Form 16 Due Date: कितनी तारीख तक आ जाता है फॉर्म-16? जानिए क्या हैं Income Tax के नियम
Written By: अनुज मौर्या
Wed, Jun 12, 2024 05:01 PM IST
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख (ITR Filing Last Date) तेजी से नजदीक आ रही है. 31 जुलाई तक सभी नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है. हालांकि, इसके लिए आपके सबसे पहले जरूरत होगी फॉर्म-16 (Form-16) की, जो आपकी कंपनी की तरफ से आपको जारी किया जाएगा. यहां एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर फॉर्म-16 कब तक आपको मिलेगा?
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क्या है फॉर्म-16 जारी करने का नियम?
इन दिनों अलग-अलग कंपनियों में कर्मचारियों को फॉर्म-16 मिलने शुरू हो चुके हैं. इनकम टैक्स कानून के नियमों के अनुसार डिडक्टर की तरफ से टीडीएस रिटर्न फाइल करने के बाद 15 दिन के अंदर फॉर्म-16 जारी करना होता है. यहां आपको बता दें कि डिडक्टर के लिए टीडीएस फाइल करने की आखिरी तारीख 31 मई थी. इस तरह तमाम कंपनियों की तरफ से उनके कर्मचारियों को 1 जून से 15 जून के बीच फॉर्म-16 मिल जाएंगे. अगर इसके बाद भी आपको फॉर्म-16 ना मिले तो आप इसके लिए अपने एचआर से बात जरूर करें.
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क्या होता है फॉर्म-16?
फॉर्म-16 से पता चलता है कि आप पर कितना टैक्स लगा है और आपको कौन-कौन सी डिडक्शन का फायदा मिला है. इसमें आपको मिली सैलरी, उस पर लगे टैक्स, आपकी इनकम के सोर्स समेत तमाम तरह के डिडक्शन के बारे में जानकारी होती है. अच्छी बात ये है कि अब फॉर्म-16 की सारी जानकारी पहले से ही आईटीआर फॉर्म में भरी रहती है, आपको सिर्फ उसे चेक करना होता है और आईटीआर फाइल करने के बाद ई-वेरिफाई करना होता है. मतलब मुश्किल से 2-3 मिनट में ही आप अपना आईटीआर फाइल कर सकते हैं.
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दो हिस्से होते हैं फॉर्म-16 के
फॉर्म-16 के दो हिस्से होते हैं. इसमें एक होता है पार्ट ए (Form 16 Part A) और दूसरा होता है पार्ट बी (Form 16 Part B). पार्ट A में कंपनी का TAN, कंपनी का पैन, कर्मचारी का पैन, एड्रेस, असेसमेंट ईयर, रोजगार की अवधि के बारे में लिखा होता है. इसके अलावा इसमें सरकार को जमा किए गए टीडीएस की भी डीटेल्स दी गई होती हैं.
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पार्ट-बी होता है बेहद अहम
अगर फॉर्म-16 के पार्ट B की बार करें तो इसमें सैलरी ब्रेकअप समेत टैक्स के बारे में दिया गया होता है. इसमें बताय होता है कि आपकी ग्रॉस सैलरी क्या है, नेट सैलरी क्या है, आपको हाउस रेंट अलाउंस कितना मिला है, पीएफ खाते में आपके कितने पैसे गए हैं. साथ ही आपको पता चलता है कि आपकी सैलरी पर कितना प्रोफेशनल टैक्स लगा है और अलग-अलग सेक्शन के तहत आपको क्या डिडक्शन मिले हैं. इसमें आपके निवेशों की जानकारी भी होती है कि आपने मेडिकल में क्या निवेश किया है, सेविंग प्लान में कितने पैसे लगाए हैं और बाकी आपको कौन-कौन सी टैक्स छूट मिली हैं.
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